सोलह वषकʏ अवȸा मअपना देश खो कर एवंचौबीस वष कʏ अवȸा मशरणाथ बन
मनेअपनेजीवन मबड़ी कɞठनाइय का सामना ɟकया है। जब मउनकेɟवषय मसोचता
ँतो लगता हैɟक उनसेबचनेका मेरेपास न तो कोई साधन था न ही उनका कोई अǵा
समाधान संभव था ।
सोलह वषकʏ अवȸा मअपना देश खो कर एवंचौबीस वष कʏ अवȸा मशरणाथ बन
मनेअपनेजीवन मबड़ी कɞठनाइय का सामना ɟकया है। जब मउनकेɟवषय मसोचता
ँतो लगता हैɟक उनसेबचनेका मेरेपास न तो कोई साधन था न ही उनका कोई अǵा
समाधान संभव था ।
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